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अनारकिस्ट से तो तुम लगते हो केजरीवाल

  • Writer: शरद गोयल
    शरद गोयल
  • Jul 1, 2024
  • 4 min read

Updated: Mar 4

पिछले मंगलवार को ब्ठप् द्वारा दिल्ली के मुंख्यमंत्री अरबिन्द केजरीवाल - राजेन्द्र कुमार के दफ्तरों पर छापे मारी की कार्यवाही की गयी या यूं कहिये ब्ठप् द्वारा मानो जैसे अरबिन्द केजरीवाल की किसी दुखती हुयी रग को छेड़ा गया होए यह कोई पहला मौका नहीं कि जब ब्ठप् द्वारा किसी उच्चाधिकारी के ठिकानों पर छापेमारी न की हो या उनको गिरफ्तार न किया हो पर इतना जरूर है कि मेरी जानकारी के हिसाब से यह पहला मौका है कि किसी अधिकारी के दफ्तर में छापे पड़ने पर मुख्यमंत्री इस प्रकार तिलमिला गया जैसे कि कोई अन्धे को अन्धा कह दे और अंधा तिलमिला जायेए केजरीवाल बदजुवानी में शायद लालू और उन्हीं सरीके अन्य नेताओं से प्रतिस्प्रर्धा करने में लगे हुये हैए और शायद यह सावित करने में लगे हैं कि उनसे ज्यादा बदजुवानी आने वाले नेता इस देश में नहीं कर पायेंगेए इलेक्ट्रोनिक मीडिया के माध्यम से जो फुटेज केजरीवाल की देखी गयी और उनके शब्दों पर ध्यान दिया जाये तो उनकी शिक्षा व संस्कार दोनों पर ही शक होने लगेगा जिस प्रकार से वह आंखें निकालकर उंगली दिखाकर देश के प्रधानमंत्री को चेतावनी दे रहे थे उससे ऐसा लग रहा था कि अवश्य यह कोई घबराया व बौखलाया व्यक्ति बोल रहा थाए किसी भी हालत में प्ण्ै अधिकारी की वह भाषा व तरीका नहीं हो सकताए दिल्ली में विधान सभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने केजरीवाल के लिए एक शब्द इस्तेमाल किया था ष्अनार्किस्टष् प्रधान मंत्री के मुंह से यह शब्द सुनकर मुझे अच्छा नही लगा था लेकिन बहुत थोडे़ समय में केजरीवाल ने यह साबित कर दिया के वह वाकई अनार्किस्ट कहलाने जाने लायक है मुझे याद है 26 जनवरी 2014 का वह दिन जब तिरंगा लहराने के साथ.साथ दिल्ली पुलिस की सलामी के बाद दिल्ली पुलिस को ही कोसने लगें उन्होंने न दिन की गरिमा देखी न स्थान की ऐसे ही गणतंत्र दिवस से 4 दिन पूर्व जब उन्होंने संसद मार्ग थाने पर धरना दिया था तब गणतंत्र दिवस परेड को अमीरों का चोंचला बताया था और ऐसे बहुत से उदाहरण हैं कि जब केजरीवाल समयए स्थान व पद तीनों की गरिमा को भूलकर अभद्र भाषा का प्रयोग करते रहे हैं ऐसा नहीं है कि राजनेताओं में केजरीवाल ही इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। समय.समय पर इस मर्यादा को तोड़ने वाले राजनेताओं का देश में अंबार लगा हुआ है लेकिन कभी.कभी मेरे दिल में विचार आता है कि अगर इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त कर नेता भी इस तरह की भाषा को प्रयोग करते हैं तो इस वोटर का क्या होगा जो मात्र इनके पढ़ लिखे होने पर विश्वास करता है। उच्च शिक्षा प्राप्त किये हजारों युवको ने केजरीवाल के लिए नौकरी से छुट्टी लेकर अपनी जेब से पैंसा लगाकर चुनाव प्रचार किया व उम्मीद की कि उच्च शिक्षा प्राप्त यह व्यक्ति देश को नई दिशा देगा। केजरीवाल उन युवकों का क्यों नहीं ध्यान करते जिन्होंने मात्र इनकी शिक्षा को ही ध्यान में रखकर इनको अपना नेता माना रोज.रोज केन्द्र सरकार से भिड़ने के बजाय दिल्ली को अपनी कर्मभूमि चुनने से पहले उन्हें यह समझ लेना चाहिए था कि दिल्ली की विधान सभा के पास बहुत सीमित अधिकार हैं और इन सीमित अधिकारों के रहते उनको केन्द्र से समन्वय स्थापित किये वगैर दिल्ली में सरकार चलाना संभव नहीं होगा।

राजेन्द्र कुमार की यदि बात करें तो ब्ठप् द्वारा कार्यवाही के दौरान जो नतीजे सामने आ रहे हैं उनसे तो यह साफ हो गया है कि राजेन्द्र कुमार उतने साफ सुथरे नहीं हैं। राजेन्द्र कुमार के घर से 18 बोतले विदेशी शराब भारी मात्रा में नोएडा व देश के अन्य इलाकों में जमीनों के कागजात फर्जी दस्तावेज व बैंक एकाउन्टों में लाखों रूपये का मिलना यह दर्शा रहा है कि सब कुछ वैसा नहीं है जैसा केजरीवाल बोल रहे हैं ट्रान्सप्रेसी इण्टरनेश्नल संस्था ने तो यहां तक कहा कि हमने राजेन्द्र कुमार के खिलाफ 7 महीने पहले एक शिकायत भी मुख्यमंत्री को दी थी यदि केजरीवाल अपने को इतनी साफ छवि का नेता मानते हैं तो उन्हांने ट्रान्सपे्रन्सी इण्टरनेशनल की इस चिट्ठी मिलने के बाद अपने स्तर पर राजेन्द्र कुमार के खिलाफ गुप्त कार्यवाही क्यों नहीं की ऐसा उनकी आंखों के नीचे व बगल में होता रहा राजेन्द्र कुमार ने तो भिन्न.भिन्न विभागों में करोड़ों रूपये के आरोप लगे हैं। केजरीवाल को सच में तो ब्ठप् छापो के बाद बोलना चाहिए था कि यदि मुझे देश की जाँच एजेंसियों व न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास है और यदि राजेन्द्र कुमार ने कोई भ्रष्टाचार किया है तो उसके उपर कार्यवाही की जाये बजाय इसके कि देश के प्रधानमंत्री के बारे में अभद्र टिप्पणी करे व पूरी व्यवस्था को कोसा जायेए बाकी नेताओं को तो अपनी राजनैतिक रोटियां सेकनी हैं ममता बनर्जीए नितीश कुमारए लालू इत्यादि सभी ने मोदी को कोसना हैं और केन्द्र सरकार की कार्यवाही को गलत बताना है। लेकिन आपको उदाहरण पेश करना चाहिए था और किसी भी प्रकार से ब्ठप् की कार्यवाही को गलत नहीं बताना था। आपने 150 करोड़ रूपये के विज्ञापन में पूरी दिल्ली में यह संदेश दिया कि आप में आपकी सरकार के दौरान 35 लोगों को गिरफ्तार किया और 152 अफसरों को सस्पेन्ड किया यदि 200 सस्पेन्ड व गिरफ्तार अधिकारियों के प्रचार में इतना पैसा खर्च कर सकते हैं तो एक अधिकारी के लिए इतना प्रेम क्यों यह आम आदमी जानता है और वह भी उस अधिकारी के लिए जो प्रथम दृष्टा भ्रष्ट अधिकारी लगता है और यही बात अभी आपके गुरू अन्ना हजारे भी पूछ रहे हैं कि राजेन्द्र को साथ रखने से पूर्व उसकी पूर्ण इन्क्वायरी क्यों नहीं की और यदि वह वास्तव में भ्रष्ट था तो उसे अपना सचिव क्यों रखाए यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब चाहे आप कितना ही अभद्र तरीके से बोलें या ऊँचा बोलें देश की जनता को जवाब देना ही होगा।


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