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अपराध रोकने है तो गहन जांच के बाद जारी करने होंगे सिम कार्ड

Writer's picture: शरद गोयल शरद गोयल

Updated: Sep 21, 2024

22 अगस्त 1994, शायद आप में से किसी को यह दिन याद हो, यह वह ऐतिहासिक दिन है। जिस दिन भारत में मोबाइल फोन शुरू हुआ। लगभग 30 साल में इस यंत्र ने इंसान के दिलों-दिमाग व लगभग हर चीज पर पूर्ण रूप से कब्जा कर लिया। इसके लांच होने से पहले लैंडलाइन टेलिफोन होता था और वो भी उसको उपयोग करने वाले बहुत कम लोग होते थे और कमोपेश दुनिया का काम चल ही रहा था। इस छोटे से यंत्र ने जैसे ही हमारे जीवन में प्रवेश किया मानो हमारी जीवन शैली पर पूर्ण रूप से कब्जा कर लिया। 2G, 3G के बाद असली क्रांति 4G के आने से आई।


इसमें बिल्कुल कोई संदेह नहीं है। दुनिया में विकास की रफ्तार को तेज करने में बहुउपयोगी यंत्र का बहुत बड़ा हाथ है। किंतु इस यंत्र ने समाज के अलग-अलग पहलुओं ने भिन्न-भिन्न प्रकार के दुष्परिणाम पैदा किए। सभी की चर्चा इस लेख में कर पाना संभव नहीं है। यदि आज हम सिर्फ अपराध जगत की बात करें तो इस यंत्र का इस जगत में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। वह बात अलग है कि अपराधियों को पकड़ने में भी इस यंत्र का योगदान है। किंतु पकड़ने से पहले अपराध को अंजाम देना। आज इस यंत्र के बिना संभव नहीं है।


सबसे पहले आर्थिक अपराध की चर्चा की जाएगी। आर्थिक अपराध इस यंत्र के आने के बाद जिस प्रकार से बढ़े हैं। वो समाज, पुलिस और सरकार के लिए बहुत बड़ी सिरदर्दी बना हुआ है। सच में तो इन आर्थिक अपराधों से कुल नुकसान का अंदाजा भी लगाना संभव नहीं है। यदि हम आंकड़ों की बात करें तो गृह मंत्रालय की संस्था NCRB और DOT (Department of Tele Communication) बताते हैं कि अप्रैल, 2021 तक 52974 साइबर अपराध रजिस्टर हुए और इन सभी में मोबाइल व फर्जी सिम जोकि गलत आईडी से लिए गए थे। आर्थिक अपराध की बात करें तो एक टीवी चैनल ने इस पर एक धारावाहिक भी बनाया-जिसका नाम था “जमतारा” । झारखंड के दूरदराज के क्षेत्रों में जहां पर मोबाइल और सिम आसानी से मिल जाते हैं। वहां पर हजारों की तादाद में पढ़े-लिखे युवाओं ने मोबाइल फोन के माध्यम से इंटरनेट का सहारा लेते हुए हजारों करोड़ का गबन किया। झारखंड अकेला ऐसा राज्य नहीं है जहां पर यह वारदात हुई है। देश का शायद ही कोई ऐसा राज्य बचा हो। जहां पर मोबाइल और फर्जी सिम से रोजाना आर्थिक अपराध ना हो रहे हो। अभी कुछ समय पूर्व गुड़गांव पुलिस ने मेवात क्षेत्र में एक इसी प्रकार के बहुत बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया और हजारों की तादाद में फर्जी सिम जब्त किए। गुड़गांव साइबर क्राइम पुलिस की तत्कालीन टीम ने बहुत ही सराहनीय काम किया। बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्या इस प्रकार के ऑपरेशन से यह अपराध बंद हो जाएंगे-नहीं। आर्थिक अपराध ही क्यों? अपहरण और फिरौती जैसे जगन्य अपराध भी मोबाइल के जरिए आसान हो गए हैं। गुड़गांव साइबर क्राइम की टीम के उस समय मुखिया रहे। साइबर क्राइम के सूत्रों से चौका देने वाली जानकारी देते हुए बताया कि यह सभी फर्जी सिम देश के उत्तर पूर्व और दूरदराज के इलाके से लाए जाते हैं और यहां पर आकर इन सिम कार्डो व मोबाइल फोन को अपराधों में इस्तेमाल किया जाता है। अपराधियों का बहुत बड़ा गिरोह इन कामों में लगा हुआ है जो फर्जी सिम का धंधा करता है। उन्होंने बताया कि चाइना की सीमा पर उत्तर पूर्व के राज्यों से भारी मात्रा में वहां के स्थानीय निवासियों को थोड़ा बहुत लालच देकर उनके नाम से फर्जी सिम ले लिए जाते हैं और उनको एक बार एक्टिवेट करके फिर चाइना में बेच दिया जाता है। कमोपेश यही स्थिति अन्य सीमावर्ती देशों के साथ भी है। देश की सुरक्षा के लिए यह एक गंभीर खतरा है। क्योंकि हाल-फिलहाल अपराधों में लिप्त हुए सिम कार्डों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यूपी में अप्रैल, 2023 का एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें एक आधार कार्ड के ऊपर 11000 सिम कार्ड रजिस्टर थे। ऐसे ही दिल्ली पुलिस साइबर क्राइम ब्रांच ने फर्जी कॉल सेंटर को पकड़ा, जिसमें 22000 फर्जी सिम कार्ड जब्त किए। DOT ने मई, 2023 में तमिलनाडु में 55983 फर्जी सिम कार्ड ब्लॉक किए हैं। वहीं पर मई, 2023 में 34000 फर्जी सिम कार्ड अलग-अलग राज्यों में-जिसमें से 12822 आंध्र प्रदेश से, 4365 पश्चिम बंगाल से, 4338 दिल्ली से, 2322 असम से, 2490 हरियाणा से।


पंजाब पुलिस ने मई, 2023 में एक बड़े अभियान के तहत फर्जी सिम कार्ड के अंतर्गत 1,80,000 फर्जी सिम कार्डों को ब्लॉक किया। जिसमें से 500 ऐसे सिम कार्ड थे। जिसमें फोटोग्राफ एक था नाम और पता अलग-अलग था। वहीं जून, 2023 में मुंबई साइबर क्राइम ने ऐसे ही 30,000 फर्जी सिम कार्ड को जब्त किया। कुछ वर्ष पूर्व संसद में भी सरकार ने एक प्रश्न के उत्तर में माना कि देश में लगभग 5 करोड़ सिम कार्ड फर्जी तौर पर जारी किए गए हैं।


समस्या की बात करें तो बहुत गंभीर है और इसके अलग-अलग तरीके से दुष्प्रभाव है। लेकिन समस्या क्या है। इस पर चर्चा करें तो एक ही बात सामने आती है कि इस समस्या का समाधान मुश्किल अवश्य है। किंतु असंभव नहीं। देश में मोबाइल नेटवर्क को मोहैया करवाने वाली 5 कंपनियां हैं जिनमें 2 सरकारी व अन्य गैर सरकारी हैं। हालांकि इन सबके कार्यकलापों पर अंकुश व नजर रखने के लिए सरकार ने TRAI के नाम से एक संस्था बनाई हुई है। किंतु उसके नियंत्रण के बावजूद यदि फर्जी सिम का देश में इस प्रकार जाल फैलना और आगे के लिए भी फर्जी सिम कार्डों का जारी होने को ना रोक पाना यह दर्शाता है कि कहीं ना कहीं इस संस्था द्वारा उठाए गए कदम भी पर्याप्त नहीं है और संस्था के द्वारा बनाए गए कायदे कानूनों में भी कमियां है। सबसे बड़ी अहम बात यह है कि सिम कार्ड को खरीदने में पूर्ण रूप से खरीदने वाले की सत्यापन पहचान को सत्यापित करके ही जारी किया जाए। सिम कार्ड की उपलब्धता सिर्फ पंजीकृत विक्रेता के पास ही हो। प्राय: यह देखा जाता है कि पंजीकृत विक्रेता अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए बाजारों में छोटी-छोटी छतरी व कनोपी में स्टाफ को बिठाकर या सब डीलर बनाकर सिम कार्ड बेचता है। जिस पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगना चाहिए। फर्जी सिम कार्डो को चिन्हित करने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाए। फर्जी सिम कार्ड पाए जाने पर जिस दिन संबंधित मोबाइल कंपनी पर पुलिस कार्यवाही करना शुरू कर देगी। उस दिन फर्जी सिम कार्डों पर रोक लग जाएगी। अन्यथा फर्जी सिम कार्डों का मिलना किसी दिन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन जाएगा।

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