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कानूनी रूप से अनिवार्य बने मतदान

  • Writer: शरद गोयल
    शरद गोयल
  • Aug 27, 2024
  • 3 min read

Updated: Sep 21, 2024

2024 के लोकसभा चुनाव कुल सात चरणों में होने है जिसमें से पाँच चरणों का मतदान पूरा हो चुका है भारत की जनसंख्या का आकलन लगभग 140 करोड़ किया जाता है जिसमें से 2024 के चुनावों में 97 करोड लोगों के पास वोटरकार्ड है। कुल सात चरणों में होने वाली इस चुनाव प्रक्रिया के पाँच चरण पूरे हो चुके हैं और पाँच चरणों के पूरे होने तक 60.48% मतदाताओं ने वोट डाला है बाकि बचे दो चरणों के मतदान में भी कमोबेश स्थिति यही रहने वाली है। बड़ा सवाल यह आता है कि मतदान का प्रतिशत क्यों दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। यदि 2019 के चुनाव की बात करें तो उसमें भी मतदान 60.57% रहा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि शत-प्रतिशत लोगों के पास जोकि मतदाता की श्रेणी में आ चुके हैं ऐसे लोगों के पास मतदाता कार्ड होगा भी या नहीं किंतु चुनाव आयोग के भरसक प्रयास के बाद यह उम्मीद लगाई जा सकती है कि मतदान योग्य नागरिक अर्थात जो 18 साल से अधिक उम्र का है कि 90%-95% लोगों को वोटर आईडी कार्ड मिले हुए हैं हम बात उन लोगों की कर रहे हैं जोकि देश की मतदाता सूची में आते हैं और वो 97 करोड़ के आसपास है यदि इनका 60% मतदान होता है तो वो 58 करोड़ के आस-पास बैठता है इन आंकड़ों की बात करें तो मोटा-मोटी तौर पर 80 करोड लोग इस चुनाव प्रक्रिया से बाहर है जिसमें 40 करोड लोगों के पास वोटरकार्ड नहीं है और 40 करोड लोग वोट डालते भी नहीं है यानि कुल आबादी का लगभग 42% जनसंख्या विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े महोत्सव में हिस्सा लेती है और इस 42% का बहुमत वाली पार्टी को कितना प्रतिशत हिस्सा मिलता है मैं यह चर्चा नहीं करना चाहता, परंतु उन विचारों पर विचार करना होगा जिनके कारण मतदान में कमी आ रही है मेरा ऐसा मानना है जब तक चुनाव आयोग मतदान को अधिकार के साथ दायित्व नहीं बनाएगा तब तक आम मतदाता इस प्रक्रिया से अपने को अलग रखेगा बुद्धिजीवी वर्ग जो मतदान की अहमियत को जानते हैं वो परिवार के साथ छुट्टियां बिताने चले जाते हैं और समाज का वो वर्ग जो किसी भी प्रलोभन में आकर मतदान करता है वही मतदान करता रहेगा


मतदान न करने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए किसी न किसी सरकारी विभाग के माध्यम से हर मतदाता को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसने मतदान वाले दिन मतदान किया है। ऐसा ना करने वाले की जवाबदेही तय हो और जुर्माने के तौर पर कुछ कार्यवाही उसके खिलाफ की जानी चाहिए यदि कोई मतदाता किसी उम्मीदवार/दल से खुश नहीं है तो निर्वाचन आयोग ने NOTA का प्रावधान दिया है मतदाता NOTA पर मतदान कर सकता है किंतु मतदान प्रक्रिया से बिल्कुल अलग रखना और सरकार बनने के बाद उसकी आलोचना करना बहुत ही गैर जिम्मेदारी का प्रतीक है यहां उल्लेखनीय है कि मतदाताओं का एक बहुत बड़ा हिस्सा प्रवासी मतदाता तरह से रोजी रोटी की तलाश में भिन्न-भिन्न राज्यों में घूमता रहता है जहाँ का वो मतदाता नहीं होता है उनको मतदान प्रक्रिया में शामिल करने के लिए गंभीरता से किसी टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना चाहिएइसलिए चुनाव आयोग, सरकार और उच्चतम न्यायालय इस ओर ध्यान दें एक सुदृढ़ मतदान व्यवस्था बनाने के लिए जो लोग मतदान नहीं कर रहे हैं वो इसका स्पष्टीकरण दें अन्यथा उन पर जुर्माने की व्यवस्था होनी चाहिए

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