क्या ‘बैक्सी’ बन पायेगी यातायात का व्यवहारिक विकल्प
- शरद गोयल
- Jan 1, 2023
- 3 min read
अभी हाल ही में गुड़गांव प्रशासन ने शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर एक नई बाइक टैक्सी शुरू की जिसका नाम बैक्सी रखा गया है। सोमवार को गुड़गांव उपायुक्त और अन्य अधिकारी जनों ने बड़े गाजे-बाजे के साथ इस सेवा को शुरू किया और गुड़गांव को लंदन व न्यूयार्क सहित दुनिया के उन शहरों की श्रेणी में लाने का दावा किया जहां पर इस प्रकार की सुविधा पायी जाती है। प्रथम दृष्टा देखें तो यह योजना बहुत ही आकर्षक लगती है। लेकिन इस योजना को गुड़गांव में शुरू करने वाली कम्पनी और अनुमति देने वाले अधिकारी शायद यह भूल गये कि न्यूयार्क और लंदन की श्रेणी में गुड़गांव को लाने में अभी प्रशासन को भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। मुझे आजतक यह बात समझ में नहीं आयी है कि गुड़गांव प्रशासन अपने वर्तमान कार्य को सुचारू रूप से करने के लिये कर्मचारियों के अभाव का सहारा लेता रहता है तो वो इस तरह के नये-नये प्रयोगों को कर्मचारियों के अभाव में किस प्रकार करेगा। समाचार पत्रों के माध्यम से पता लगा कि कंपनी और यात्रियों के बीच में सुचारू समन्वय बनाने के लिये प्रशासन मुख्य भूमिका अदा करेगा। मेरे प्रशासन से कुछ सवाल हैं वो प्रशासन जो आजतक यह सुनिश्चित नहीं कर पाया कि गुड़गांव में कितनी मात्रा में आटो रिक्शा चल रहे हैं, उनको किस प्रकार से रेगुलेट किया जाये ताकि इसमें बैठने वाला यात्री अपने आपको सुरक्षित महसूस करे और पूरे शहर में जो थ्री व्हीलर का आतंक मचा हुआ है उससे आम नागरिक को कैसे छुटकारा मिले और थ्री व्हीलर लोगों की सुविधा का साधन बनें न कि परेशानियों का कारण। पिछले एक माह पहले माननीय पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा एक आदेश पारित करके गुड़गांव प्रशासन को निर्देश जारी किये कि आटो रिक्शा चालकों को किस प्रकार से अनुशासन में रखा जाये उसके लिये याचिकाकत्र्ता की पांच मांगों को माननीय न्यायालय ने प्रशासन को लागू करने के आदेश दिये लेकिन एक माह गुजर जाने के बाद अभी तो प्रशासन ने उसकी शुरूआत भी नहीं की है। बोलने सुनने में बहुत अच्छा लगता है कि बाइक पर सवार होकर हम एक गंतव्य से दूसरे गंतव्य पर जा सकेंगे। इससे समय भी बचेगा और जाम की परेशानियों से भी बचेंगे। लेकिन जो प्रशासन आजतक शहर में ये नहीं तय कर पाया कि कुल कितने आटो रिक्शा गुड़गांव में चलें , कितने रेहड़ी और हाथ रिक्शा गुड़गांव में चलेंगी वो प्रशासन इन बाइक चालकों पर किस प्रकार से निगरानी रखेगा, यह सोचनीय विषय है। मुझे डर उस दिन को है जब आटो रिक्शा की भांति गुड़गांव में इन बाइकर्स का आतंक न हो जाये। 500 का लाइसेंस लेकर कहीं गुड़गांव में 5000 बाइकर्स को सड़कों पर बदतमीजी और अनुशासनहीनता करने का मौका मिले और फिर इनको संयम में लाना प्रशासन के बस की बात न रहे क्योंकि आज भी प्रशासन जब आटो रिक्शा पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है तो इन बाइकर्स पर कैसे अंकुश लगेगा, यह बहुत चिंता का विषय है। वो दिन दूर नहीं होगा जब इन बाइकर्स की मात्रा इतनी हो जायेगी कि ये बाइकर्स एक वोट बैंक में हस्तांतरित हो जायेंगे और इनके ऊपर अंकुश लगाने पर इनकी हिमायत में नेता लोग भी आ जायेंगे और इनको सड़कों से हटाना गुड़गांव प्रशासन के लिये असंभव हो जायेगा। मैं दावे से यह कह सकता हूं कि इस योजना से भविष्य में गुड़गांव में कानून व्यवस्था की स्थिति में अवश्य तौर पर खराबी आयेगी। मुझे वो दिन याद है जब गुड़गांव में कैब चालकों ने 40 से ऊपर नौजवानों को मार दिया और उन्हें खुले मेन होल में डाल दिया। प्रशासन को चाहिये कि एक साफ सुथरे शहर की तरह गुड़गांव में अच्छे और सुरक्षित पब्लिक ट्रांसपोर्ट का जल्द से जल्द शुभांरभ करें। मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि इसमें सीधे-सीधे हस्तक्षेप करें और जल्द से जल्द गुड़गांव में सार्वजनिक यातायात व्यवस्था दुरूस्त करें जिससे प्रशासन रोज नये - नये प्रयोगों से बाज आये। मुख्यमंत्री जी गुड़गांव को मेडिकल कालेज और यूनिर्वसिटी से पहले कृप्या एक अच्छी सी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था दें।
Comments