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पाठयक्रम में शामिल हो सड़क सुरक्षा

  • Writer: शरद गोयल
    शरद गोयल
  • Nov 9, 2024
  • 1 min read

 लगातार बढते सड़क हादसे के बीच किसी को भी समझ में नही आ रहा है कि ऐसा क्या किया जाए कि सड़क हादसे कम हो और लोगो की जान-माल की सुरक्षा की जा सकें। प्रतिदिन हो रहे सड़क हादसो के लिए यद्यपि अलग-अलग कारण जिम्मेदार माने जाते है लेकिन सच यह है कि सड़क हादसो के लिए दो कारण सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं, पहला लोगों को वाहन चलाना नही आता। अनाड़ी व्यक्ति वाहन लेकर जब सड़क पर आता है तो निश्चित तौर पर वह खुद के लिए भी और दूसरे के लिए भी बड़ा खतरा होता है। दूसरा कारण है कि लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में जानकारी न होना। आखिर जब किसी व्यक्ति को सड़क सुरक्षा की जानकारी ही नही होगी तब क्या होग? तब तो सड़क पर मौत तांडव नृत्य करेगी ही।

               सड़क हादसों में पूरे विश्व मे सर्वाेपरि होने के बावजूद देश में वाहन चालन और सड़क सुरक्षा को लेकर कोई पाठ्यक्रम तैयार नही हुआ है। किसी भी कक्षा में इस बारे में बच्चों को पढ़ाया नही जाता है। अधिकंाश लोगों को सड़क पर लगे संकेतों के बारे में कोई जानकारी नही है। कि यह संकेत क्या कहता है? होना यह चाहिए कि केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और राज्य सरकारो ंतथा संघ शासित राज्यों कि शिक्षा बोर्डाे को इस मामले में काम करना चाहिए और सांझे प्रयासों से नर्सरी से लेकर 10$2 तक के लिए कक्षा दर कक्षा पाठ्यक्रम सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके लिए वाहन चालन एवं सडक सुरक्षा के मामले में दक्ष अध्यपको की नियुक्ति होनी चाहिए। देश की सड़को पर हर चार मिनट में हो रही मौत को रोकने के लिए कुछ तो करना ही होगा। अगर हर स्कूल में एक या दो अध्यापक भी इस विषय के दक्ष लोगों को नियुक्ति किया जाए। और बच्चों को शुरू से ही इस बारे में जानकारी दी जाए तो कोई अति श्योक्ति नही है कि आने वाले वर्षाे में यह आकड़ा न केवल काफी नीचे आ जायेगा, बल्कि देश की सड़को को भी अन्य पश्चिमी और विकसित देशों की सुरक्षित सड़कों की श्रेणी में रखा जा सकता है। इस मामले में निजी क्षेत्र को भी अपना नैतिक कर्तव्य समझ कर प्रयास करना चाहिए। सरकार इस पाठ्यक्रम को ड्राईविंग लाईसेन्स से सीधे जोड़ सकती है। 2011 में जहां 1,42,485 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई। वही उसी साल 34,305 लोगो की हत्या हुई। अर्थात सड़क हादसों में हत्या की तुलना में चार गुणा से ज्यादा लोग मर रहे है।

               दरअसल आवश्यकता है इससे जुड़ी हुयी पूरी व्यवस्था को दुरस्त करने की, हमारे बच्चों को बारहवें तक के पाठ्यक्रम में बहुत सी ऐसी चीजे पढ़ाई जाती है जिनका उनके आने वाले जीवन में कोई लेना देना नही होता, सड़क सुरक्षा औरा ड्राईविंग नियम की जानकारी या तो बारहवीं तक के बच्चों को दी नही जाती है और यदि दी भी जाती है तो आधी अधूरी जबकि यह एक ऐसा विषय है जो कि लगभग 18 साल का हो गया या होने जा रहा है, के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और जबकि आज देश में खास तौर से महानगरों के आस पास देंखे तो बच्चों में ड्राईविंग करने की ललक बहुत ज्यादा हो गयी है, ऐसे में उन  बच्चोें को बाकी शिक्षा के साथ-साथ क्यों न सड़क सुरक्षा व डाªईविंग की शिक्षा दी जाए, और साथ-साथ इण्डियन मोटर व्हीकल एक्ट की जानकारी भी मिलनी चाहिए और आई.पी.सी . के तहत सड़क नियमों को तोड़ने पर क्या-क्या कार्यवाही का प्रावधान कानून में है, यह भी बताना अति आवश्यक है, और ड्राईविंग लाईसैन्स बनवाते समय कानूनों का सख्ती से पालन हो और इस बात का ध्यान रखा जाए। कि 12वीं कक्षा में उस प्रार्थी बच्चे के इस विषय में कितने नम्बर आए, मेरा विश्वास ही नहीं अपितु, मै दावा कर सकता हू ,यदि ड्राईविंग लाईसैन्स बनवाने की प्रक्रिया सक्त हो जायेगी और बच्चो के पाठ्यक्रम सड़क सुरक्षा के कानून को पढ़ाया जाएगा तो इसके परिणाम बहुत ही अच्छे होगे।

               सरकार के भूतल एवं परिवहन, मानव संसाधन, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय तथा स्वास्थ मंत्रालय को मिलकर इस दिशा में काम करना चाहिए सड़क सुरक्षा कोई ऐसा विषय भी नही है कि आम आदमी को इस बारे में समझाया न जा सके। यह ऐसा भी विषय  नही है कि सरकार इस पर कोई कदम उठाए और उसमें राजनीति हो जाए तथा सरकार को मामला लटकाना पड़े। अगर सरकार इस दिशा में कोई पहल करती है तो निश्चित तौर पर हम लोग आने वाले विषय में इसके सुखद परिणामों की कल्पना कर सकते हैं। आज स्थिति यह है कि अगर बाहर गया व्यक्ति लेट हो रहा है तो घर के लोगों में चिंता होती है कि सब ठीक भी है या नही, क्योंकि प्रतिदिन हादसे ही इतने हो रहे हैं। आईये इन हादसों को रोकने के लिए एक सार्थक पहल करने का प्रयास करें।  

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