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‘प्रशासन’ सकारात्मक कार्यो में ऊर्जा लगायें

  • Writer: शरद गोयल
    शरद गोयल
  • May 15, 2014
  • 3 min read

पिछले दिनों गुड़गांव नगर निगम के आयुक्त पद पर आसीन डा0 प्रवीण कुमार द्वारा शहर में कुछ इस तरह के कार्य किये गये, जिनको एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनहित में नहीं माना जाता, अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन द्वारा किसी को उजाड़कर ही लोकहित की कार्यवाही की जा सकती है यह सकारात्क सोच रखकर लोकहित के काम किये जा सकते हैं।


अतिक्रमण की समस्या किसी भी शहर में बहुत सारी समस्याओं को जन्म देती है, लेकिन हम एक लोकतांन्त्रिक व्यवस्था के अन्दर जी रहे हैः उसमें क्या इस समस्या का स्थायी हल सिर्फ विनाश हैः या उस पर गहन विचार करके उसका स्थायी समाधान निकालना चाहिये, किसी भी शहर की समस्या का प्राथमिकता के आधार पर निपटाारा होना चाहिये और सबसे पहले उस समस्या का निपटारा होना चाहिये जिसका निपटारा किसी को नुकसान पहुँचाकर न किया जाये, दरअसल पिछले 10-12 सालों में गुड़गांव दो हिस्सों में बंट गया है, और जिसमें एक हिस्सा मूलभूत गुड़गांव निवासी व दूसरा हिस्सा देश में विभिन्न क्षेत्रों से पलायन करके भिन्न - 2 कारणों से इस नये गुड़गांव में बसे लोग हैः इन दोनों की समस्याये अलग-2 हैः इनकी जरूरते अलग-2 हैः जिनका समाधान तानाशाही तरीके से नहीं किया जा सकता, पुराने गुड़गांव में सबसे बड़ी समस्या बिजली पानी की आपूर्ति है, उनके ऊपर कार्य किया जाना चाहिये बस केऊ सेल्टर्स का गुड़गांव में नामो निशान नहीं है जिनको भारी मात्रा में बनाना चाहिये, पूरे शहर का यहि आप सर्वे करें तो आप पायेंगें कि आपको एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं मिलेगा, सार्वजनिक कूुड़ेघर बहुत ही खराब दशा में बने हुये हैं और जितना कूड़ा उनके अन्दर होता है, उससे ज्यादा बाहर पड़ा होता है, और कूड़े में पड़ा पाॅलिथीन गायें खाती हैं जिसके कारण वह असमय ही मर जाती हैः गुड़गाँव में 1950 में निर्मित एक बस अड्डा है, बताते हुये खेद होता है कि 64 साल में गुड़गांव में नया बस अड्डा नहंी बन पाया इसी प्रकार भूजल स्तर की समस्या और उसकी गुणवत्ता की समस्या जैसे पुराने गुड़गांव पर कलंक की तरह लगी हुई है, दरअसल तो इन सभी समस्याओं के समाधान के लिये हम पार्सद विधायक और सांसद चुनते हैः जो प्रशासन और जनता के बीच की कड़ी का काम करते हैः पर शायद यह सभ्यता गुड़गांव में लागू नहीं होती पिछले दिनों आधी रात को बाजार मंे प्रशासन द्वारा तोड़ फोड़ की घटना, हीरो होण्डा चैक की समस्या, इफ्को चैक राजीव चैक पर जाम की समस्या हो चाहे जोहड़ों के सूखने व उन पर अतिक्रमण की समस्या हो, और इत्यादि, इत्यादि पार्किंग की समस्या हो, हरित क्षेत्र के रख रखाव की समस्या हो इन सभी समस्याओं के लिये आम नागरिक को खुद ही अपना सिर फुड़वाना पड़ता है पार्षद विधायक सांसद शायद इस कार्य क्षेत्र मंे नहीं आते, उनका काम मात्र अपने हितों की रक्षा करना व पांच साल में एक बार किसी को जाति किसी को धर्म, व्यवसाय क्षेत्र के आधार पर बरगालाकर वोट लेना और उसके बाद विधायक चण्डीगढ़ सांसद दिल्ली और पार्सद अपने काम - धन्धों में लग जाते हैः बेचारी जनता संघर्ष करती रहती हैः अधिकारी गण साल दो साल के लिये आते और जाते है उनको मूलभूत समस्याओं के हल की जानकारी तो किसी प्रकार से नहीं मिल सकती।


गुड़गांव में आज शायद यहां की जनसंख्या से अधिक रेहड़ियां है, और कभी किसी प्रशासक ने यह नहीं सोचा कि साइबर सिटी नाम से जाना जाने वाला शहर रेहड़ी शहर न बन जाये।


जहां तक मेरी जानकारी है पूरे हरियाणाा में डा0 प्रवीण कुमार जैसा ऊर्जावान अधिकारी इक्का-दुक्का ही हों, मुझे याद है वो दिन जब ये अतिरिक्त उपायुक्त पद पर तैनात थे और दिसम्बर की सर्दियों में पूरी रात लगाकर इन्होंने अवैध होर्डिंग को कटबा दिया था, और किसी भी दवाब में नहीं आये थे इनके काम करने का तरीका बहुत ही निराला हैः और जो सोचते हैः वह करते हैः लेकिन आवश्यकता है इनकी सोचको सकारात्मक करने की, इनकी ऊर्जा से आम आदमी को फायदा होना चाहिये नुकसान नहींः यही लोकतन्त्र का उद्देश्य ळें

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