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यह कैसी दिखाश की बीमारी सकील साहब

  • Writer: शरद गोयल
    शरद गोयल
  • Mar 5, 2022
  • 2 min read

कांग्रेस प्रवक्ता सकील अहमद द्वारा आज ऐसा घिनौना बयान दिया गया जिसकी जितनी भी भत्र्सना की जाये वह कम है। सकील अहमद ने कहा कि छोटा राजन यदि मुसलमान होते तो मोदी सरकार का उनके प्रति रवैया दूसरा होता और मोदी सरकार फूट डालो व राज करो की नीति पर चल रही है। मुझे लगता है कि 60 साल तक देश पर राज करने वाली पार्टी के आला नेता सकील अहमद, सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर जैसे लोगों के कारण ही आज देश की यह हालत है। सकील अहमद के बयान से क्या निष्कर्ष निकाले यह तो शायद उनको भी नहीं पता हो। क्योंकि कांग्रेस के नेताओं को सत्ता से दूर रहना पच नहीं रहा और सत्ता से दूर रहने की बौखलाहट उन्हें आये दिन इस प्रकार के समाज में जहर फैलाने वाले बयान देने को मजबूर करते हैं। राशिद अली, सकील, सलमान खुर्शीद शायद देश के सभी मुसलमानों का अपने को गाडफादर मानते हैं। लेकिन पिछले चुनावों में जिस प्रकार कांग्रेस की हार हुई उससे यह साबित हुआ कि मुस्लिम वोटरों ने बड़ी मात्रा में कांग्रेस को नकार दिया और नकारें भी क्यों न सचर आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया कि आजादी के बाद देश में कांग्रेस के शासन काल में मुसलमानों का जीवन स्तर  किस हद तक गिरा है। चाहे वह शिक्षा का हो, टेक्नोलोजी का हो या आर्थिक क्षेत्र हो। आम मुसलमान की जीवन की दशा पहले से बद्तर हुई है। दरअसल में फूट डालो व राज करो की नीति कांग्रेस की रही है, जिन्होंने मुसलमानों में फूट डाली और आम मुसलमान को गरीबी की जिन्दगी जीने के लिये मजबूर कर दिया और कुछ चुनिंदा मुस्लिम नेताओं को मंत्रीपद व अन्य लाभकारी स्थान देकर गरीब मुसलमानों का ठेकेदार बना दिया। सलमान खुर्शीद, राशिद अली जैसे नेता बतायें कि देश का आम मुसलमान जो कि पूरी तरह से देश के लिये समर्पित है, का जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिये उन्होंने अपने शासन काल में क्या कदम उठाये सिवाय वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने के अलावा। आज मुसलमानों की शिक्षा के स्तर में, स्वास्थ्य व आर्थिक स्तर में गिरावट है तो उसके लिये सीधे तौर पर कांग्रेस जिम्मेदार है। दरअसल कांग्रेसी नेताओं को दिखास की बीमारी हो गयी है। फिर उसके लिये उनको ऐसा करना जरूरी हो गया है कि कुछ उटपटांग बयान दें, टी.वी. पर उनकी आलोचना हो, शाम को उनके बयान पर चर्चा चले और जब तक कोई और बड़ी खबर न आये तब तक टी.वी. पर उनका चेहरा दिखता रहे। मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तानी मीडिया में जो बात कही उसको सभी देशवासियों ने देखा और देशवासी तो क्या मुझे लगता है यदि मणिशंकर अय्यर ने भी अपने बयान को दूरदर्शन पर देखा हो और उसमें जरा भी संवेदनशीलता हो तो उसे भी अपने बयान पर खुद ही शर्म आयी होगी। यह कोई पहला मौका नहीं जब कांग्रेसी नेताओं के इस तरह के बयान आये हों अभी तो दिग्गीराजा पता नहीं किस मुद्रा में और कहां पर लुप्त हैं वरना उन्होंने तो आतंकी सरगना लादेन को श्री लादेन जी कह कर ही सम्बोधित कर दिया था। एक नेता आतंकी सरगना को श्री व जी जैसे अलंकरणों से पुकारता है। एक नेता पाकिस्तानी मीडिया में कहता है कि यदि आप हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के बेहतर संबंध चाहते हो तो हमें दोबारा सत्ता में ले आयें। मणिशंकर को शर्म आये या न आये उनके इस बयान से सवा सौ करोड़ भारतियों को जरूर शर्म आयी है। मणिशंकर को सत्ता में आने की इतनी जल्दी है कि वह इसके लिये पाकिस्तान का भी सहारा ले रहे हैं। मेरी समझ में तो मणिशंकर अनपढ़, गंवार राजनेताओं में नहीं है। दून स्कूल देहरादून से पढ़े मणिशंकर अय्यर, सेंट स्टीफन कालेज दिल्ली, ट्रिनटी हाल से शिक्षा प्राप्त है। अगर इतनी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी उनकी सोच यह है कि सत्ता के लिये उनको पाकिस्तान का सहारा लेना है, फिर तो हमारे अशिक्षित व अनपढ़ राजनेता ही भले। मुझे इस सारे प्रकरण में कहीं ने कहीं मीडिया भी जिम्मेदार नजर आता है। देश के सभी मीडिया घरानों को एक राष्ट्रहित की नीति बनानी होगी और मीडिया खुद तय करे कि किन नेताओं के किन बयानों से राष्ट्रहित की अनदेखी हो रही है। उनको किन्हीं भी हालातों में महिमा मण्डित न करें, वरना सकील अहमद, मणिशंकर, राशिद अली, सलमान खुर्शीद, दिगविजय सिंह जैसे नेता कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, मर्यादाओं का उल्लंघन करने में।

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