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सिर्फ विज्ञापन नहीं, धरातल पर भी हो हरियाली

  • Writer: शरद गोयल
    शरद गोयल
  • Jan 1, 2023
  • 4 min read

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी द्वारा पिछले दिनों हरियाणा वन विभाग द्वारा मनाये जाने वाले 66वें वन महोत्सव का बड़े जोर शोर से उद्घाटन किया गया और अन्य योजनाओं की भांति इसके भी विज्ञापन पर करोड़ों रूपये स्वाहा कर दिये गये। जैसे कि पहले स्वच्छ हरियाणा व बेटी बचाओ कार्यक्रमों के अंतर्गत किया गया। सरकार इस तरह की योजनाओें के प्रचार में जो धनराशि खर्च करती है, बेहतर हो सरकार धनराशि इन योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने में खर्च करे। यदि सरकार इनके प्रति वाकई संवेदनशील व गंभीर हो तो। अन्यथा मात्र ढिंडोरा पिटने से इन योजनाओं का कोई लाभ नहीं होना। यदि हरियाली की बात करें तो साइबर सिटी व हरियाणा की शान कहलाने वाले गुड़गांव की हरियाली की पिछले दस सालों में जो दुर्दशा हुई है , वह शायद ही हरियाणा के किसी शहर में हुई हो। अन्य योजनाओं के बारे में मुझे तो पता नहीं लेकिन मेरा मानना है कि सरकार पेड़ लगाने पर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। यदि सरकार चाहे तो सबसे पहले इस कार्यक्रम की शुरूआत सरकारी सम्पत्तियों से कर सकती है। राज्य के जितने भी सरकारी कार्यालय, स्कूल, अस्पताल, कारागृह, पुलिस थाने, विडियो आफिस , पंचायत भवन, कालेज और राज्य सरकार की सड़कों के दोनों ओर, मैं दावे से कह सकता हूं कि इन सभी स्थानों पर सरकार अपने बचे चार साल के कार्यकाल में एक करोड़ से अधिक पेड़ लगाने का प्रयास करे और एक अलग से विभाग का गठन किया जाये, जिसके पास उचित स्टाफ व पर्याप्त मात्रा में धनराशि उपलब्ध हो, वह भी वन विभाग से हटकर क्योंकि वन विभाग ने हरियाणा में पिछले पचास साल में जितने पेड़ लगाये, ये हरियाणा के सभी लोग जानते हैं। यदि यह विभाग न होता तो शायद हरियाणा में हरियाली की स्थिति और अच्छी होती। अतः अन्य कोई विभाग बना कर राज्य मंे एन‐जी‐ओ‐ व स्वयंसेवी संस्थाओं को भी इस विभाग से जोड़ा जाये।


यह बात तो हुई नये पेड़ लगाने के बारे में। दूसरा पहलू अति महत्त्वपूर्ण यह है कि प्रशासन की लापरवाही से जो बड़े पेड़ मर जाते हैं, उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन पर हो और संबंधित विभाग , जिसकी लापरवाही से वह पेड़ मरा है उसके अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज होने का प्रावधान हो। यदि गुड़गांव की ही बात करें तो मात्र हीरो होण्डा चैक पर ही सौ से अधिक बड़े पेड़ मर गये व काफी पत्राचार के बाद भी किसी भी कर्मचारी व अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इफको चैक पर गंदे पानी के भराव के कारण 25 से अधिक पेड़ मर गये। न्यायालय के आदेश से प्रशासन ने कुछ समय के लिये गंदे पानी को निकाल दिया लेकिन हाल वैसे का वैसा ही है। सुखराली शमशान के पास भी गंदे पानी के भराव के कारण सैंकड़ों बड़े वृक्ष मर गये हैं या मरने की कागार पर हैं। राष्ट्रªीय राजमार्ग -8 पर इफको चैक से एम्बिऐंस माल तक हजारों की तादाद में बड़े पेड़ कट गये लेकिन प्रशासन पर जूं तक नहीं रेंगी। हद तो तब हो गयी जब इसी राजमार्ग पर इंडिया बुल्स के सामने ग्रीन बेल्ट के पेड़ काटकर उसको माफियों द्वारा पार्किंग में बदल दिया गया। अभी हाल ही में राजमार्ग-8 से सेक्टर रोड डी एल एफ गोल्फ कोर्स तक जाने वाली सड़क का अपग्रेडेशन का काम शुरू हुआ और इस योजना के बीच आने वाले लगभग दो हजार बड़े वृक्षों को काटने की सरकार ने बड़ी निर्दयता से अनुमति दे दी। अब इन पेड़ों के बदले में कहां पेड़ लगे हैं या नहीं, यह गुड़गांव वासियों के लिये एक पहेली बनी है। इसी प्रकार एम्बिऐंस माल के सामने की पूरी ग्रीन बेल्ट के सारे पेड़ काटकर लगभग एक किलोमीटर की काली रोड ही बना दी। यह तो शहर के बाहर का हाल है मगर शहर के अंदर भी कमोवेश ऐसी ही स्थिति है। सेक्टर-14 की सड़क को चैड़ा करने के लिये भी कई पेड़ों को काट दिया। दरअसल सरकार हरियाली को एक फैशन का मुद्दा बनाना चाहती है। इससे अधिक इन मुद्दों पर न सरकार गंभीर है और न ही सरकारी तंत्र। आपको मालूम होगा कि हरियाणा में ट्री प्रोटेक्शन एक्ट नहीं है। मैंनें स्वयं इन्हीं मुख्यमंत्री जी को ट्री प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने के लिये पत्र लिखा था लेकिन जैसे मैंने पहले भी कहा कि इनकी नजरों में पेड़ों की सुरक्षा सबसे अन्तिम पायदान पर है। शहर की हरियाली को बचाने के लिये चाहे वह हुड्डा, निगम, पीडब्लयूडी व सिंचाई विभाग हो उसमें निर्धारित स्टाफ शहर की हरियाली बचाने व बढ़ाने में लगा रहे न कि कुछ अधिकारियों के घरों के गमले चमकाने में। जिले के हर स्कूल के प्रधानाचार्य को यह निर्देश हो कि वह अपने स्कूल में कम से कम 200 पेड़ लगाये और यदि स्थान अनुमति देता हो तो पेड़ों की संख्या ओर भी अधिक हो।


इसी प्रकार सभी पुलिस स्टेशनों में सभी एस‐ एच‐ ओ‐ कम से कम 25 पेड़ लगायें और इसमें एक बात का खास ध्यान रखा हो कि बरगद, पीपल, जामुन, तिलखन, नीम आदि बड़े पेड़ लगायें न कि कनेर, बोगन बोरिया। सरकार, प्रशासन व जनता तीनों मिलकर ठानेंगे, तभी हरित हरियाणा का सपना साकार होगा अन्यथा खाली मानसून तक ही शोशेबाजी बनकर रह जायेगा यह अभियान भी। मेरा मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि इस योजना में प्रशासन को पूरी जिम्मेदारी व जवाबदेही का अहसास कराये, खाली अखबार में विज्ञापन निकलवाने से कुछ नहीं होगा।

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